क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग 19
रात हो चली थी। अमित अपने कमरे में बैठा था तभी अंजली का मैसेज आता है। अमित भी अंजली के मैसेज का इंतज़ार कर रहा था । उसका मैसेज आते ही अमित ने अंजली को फ़ोन किया।
"केसी हो अंजली आज का दिन केसा गया " अमित ने पूछा
" बहुत थक गयी हूँ आज मैं, दिन भर भागा दौड़ी करती रही " अंजली ने कहा
" मैं भी बहुत थक गया हूँ आज , पूरा घर मेहमानों से भर गया है । तुम्हारे हाथो पर मेहंदी लग गयी मेरे नाम की। मेरा नाम लिखवाया या नही " अमित ने पूछा
अंजली शरमाते हुए कहती है " कल आप खुद ही देख लेना "
" हाँ ये तो है कल को तुम मेरे पास होगी मेरे घर मैं, मैं बहुत खुश हूँ कि जिससे मेने प्यार किया वही मेरी हमसफ़र बनने जा रही है । मैं तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ अंजली , अगर तुम्हे कुछ हो गया तो मैं मर जाऊंगा " अमित ने कहाँ
उसके बाद दोनों ने जब तक प्यार भरी बाते कि जब तक नींद ने उन्हें अपने आगोश में ना ले लिया।
अगली सुबह अंजली कि आँख उसके पिताजी कि आवाज़ से खुली जो की बाहर घर में काम करवा रहे थे ।
अंजली ने समय देखा तो आठ बजे थे । वो झट बिस्तर से नीचे उतरी और नहाने चली गयी
दूसरी तरफ अमित भी उठ चूका था । और नहाने जा चूका था । अमित को बस शाम का इंतज़ार था कैसे ना कैसे करके वो बस बारात लेकर जाना चाहता था ।
अंजली अपने पिता को देख उदास होती, दुर्जन अंजली से नज़रे चुरा रहा था क्यूंकि वो जानता था अगर वो अंजली से बाते करेगा तो रो देगा और उसके बाद अंजली से उसकी जुदाई मुश्किल हो जाएगी। इस लिए वो खुद को व्यस्त रखा हुआ था शादी के कामों में।
देखते ही देखते दोपहर हो गयी ।
मंजू ने अपनी सास से इज़ाज़त मांगी की वो अंजली से मिलना चाहती है शादी से पहले क्यूंकि अंजली को उसने ही तैयार करना है ,
मंजू की सास ने पहले तो मना किया परन्तु राकेश के कहने पर उसने इज़ाज़त दे दी लेकिन वो खुश नही थी अपने बेटे को बहु का साथ देते देख
उसने मन मे कहाँ " कुछ करना होगा वरना ये लड़की मेरे बेटे को मुझसे दूर कर देगी अगर ऐसे ही मेरा बेटा इसकी हर बात मानता रहा तो "
मंजू को राकेश अपने एक दोस्त के साथ अंजली के घर भिजवा देता है और खुद बारात के साथ जाने का फैसला करता है।
मंजू को देख अंजलि उसे सीने से लगाती और कहती "मेरी बहन तू आ गयी तुझे मेने कितना याद किया था कल अपनी हल्दी पर "
" क्या बताऊ अंजली बस शादी का नाम अच्छा है लेकिन शादी के बाद जो कैद हो जाती है वो बहुत बुरी है , तुझे लगता है कि मैं खुद नही आयी । मैं तो आना चाहती थी लेकिन मम्मी जी ने मना कर दिया था और कहाँ बारात के साथ चलना बाराती बन कर "मंजू ने कहाँ
"तो फिर अब कैसे आयी " अंजली ने पूछा
" आज सुबह मुझे तेरी याद आ रही थी क्यूंकि हम दोनों ने वादा किया था गुड़िया गुड्डो कि शादी कराते वक़्त कि जब तू दुल्हन बनेगी तो मैं ही तुझे तैयार करूंगी लेकिन मम्मी जी ने मना कर दिया था आने से इसलिए मुझे डर था कि कही एक सहेली का वादा दूसरी सहेली से टूट ना जाए। यही सोच मेरी आँखों से आंसू आ रहे थे । जो राकेश ने देख लिए जब उसे मेरे वादे का पता चला तो उसने मुझसे मम्मी जी से दोबारा बात करने को कहाँ जिसमे वो मेरा साथ देगा । मेरे पूछने पर तो मम्मी जी ने साफ इंकार कर दिया लेकिन राकेश के कहने पर मान गयी और मुझे राकेश ने अपने एक करीबी दोस्त के साथ यहाँ भेज दिया " मंजू ने कहाँ
"ओह मेरी प्यारी दोस्त!तुझे अब तक याद था मुझसे किया वादा " अंजली ने दोबारा मंजू को गले लगाकर कहाँ
धीरे धीरे अंजली का घर मेहमानों से भरने लगा । खाने की खुसबू से पूरा घर महक रहा था । अंजली के हाथो पर मेहंदी भी रच गयी थी ।
दूसरी तरफ अमित के घर भी बारात लेकर जाने की तैयारिया जोरो शोरो पर थी । अमित कई बार पूछ चूका था बारात लेकर जाने के लिए । उसके दोस्त उसे इस तरह घोड़ी चढ़ता देखने के लिए उतावला होता देख हस रहे थे और उसका मज़ाक बना रहे थे।
भाई आज जीले अपनी आजादी शाम को तू भी कैद हो जाएगा मीठी जैल में जिसमे मज़े के साथ साथ सजा भी मिलती है । अमित बार बार अपने मोबाइल को देख रहा था शायद उस पर अंजली का मैसेज आया हो तभी अचानक उसके दोस्त उसके हाथ से मोबाइल छीन लेते और एक दूसरे को फेक फेक कर देते और अमित को परेशान करते और कहते अब जो बाते करना सुहागरात पर करना उससे पहले कुछ नही। तभी मोबाइल हाथ छूट कर नीचे गिरकर टूट जाता। अमित उसे दोबारा चलाने की कोशिश करता किन्तु वो नही चलता और आखिर में वो उसे ये कहकर अपनी दराज़ में रख देता की शादी के बाद इसे ठीक कराऊंगा ।
धीरे धीरे शाम होने लगी थी । अंजली के घर गांव वाले आने लगे थे बारात के लिए । मंजू अंजली को तैयार कर रही थी , अंजली के चेहरे पर उदासी थी ख़ुशी के साथ साथ।
मंजू अंजली से कुछ कहती तभी वहा एक छोटी सी बच्ची उसके कमरे में आती और कहती " अंजली दीदी ये लो चिट्ठी बाहर खड़े भैया ने दी है "
अंजली उस चिट्ठी को लेती और उस बच्ची से पूछने को होती कि ये किसने दी है तभी वो बच्ची वहा से भाग जाती है ।
अंजली उसे आवाज़ देती पर वो नही रूकती और भाग जाती है ।
अंजली उस चिट्ठी को खोलती और पढ़ती उस पर लिखा था " नदी किनारे आकर मिलो कुछ ज़रूरी बात करनी है और हाँ अकेली आना तुम्हारा प्रेमी "
अंजली मंजू को बताती और कहती " ये ज़रूर अमित ही है क्यूंकि पहली बार उसने मुझे मिलने के लिए नदी किनारे बुलाया था वही से हमारे प्यार कि कहानी कि शुरुआत हुयी थी जो कि आज रात को शादी के पवित्र बंधन में बंधने के बाद मुकम्मल हो जाएगी।
मंजू कहती " तुझे पक्का यकीन है कि ये अमित ने ही भेजा है "
"मुझे पक्का यकीन है ये उसने ही भेजा है वो भी राकेश जीजू कि तरह मुझसे शादी से पहले मिलना चाहता है ।" अंजली ने कहाँ
"अब तो तुम दोनों के पास मोबाइल है फिर उसने चिट्ठी क्यू भेजी मैसेज या फ़ोन कर सकता था "मंजू ने कहाँ
"मैं अभी उसे फ़ोन करती हूँ "अंजली ने उसे फ़ोन लगाते हुए कहाँ
उसने उसे कई बार फ़ोन लगाया लेकिन उसका नंबर बंद जा रहा था
"हो सकता है शादी के घर में चार्ज करना भूल गया होगा और अब मोबाइल कि बैटरी ख़त्म हो गयी होगी " अंजली ने मंजू से कहाँ
" मैं चलती हूँ मंजू , पीछे के दरवाज़े से जाती हूँ आगे तो लोग बैठे है " अंजली ने चादर औड़ते हुए कहाँ
" मेरी बहन मत जा मेरा दिल घबरा रहा है लग रहा है कुछ अनहोनी होने वाली है और वैसे भी शादी से पहले दूल्हा दुल्हन का मिलना अच्छा नही होता और बारात भी बस आती ही होगी " मंजू ने अंजली से कहाँ
" अच्छा तो ये वो लोग कह रहे है जो खुद बिन बताये अपनी शादी वाले दिन अपने मंगेतर से मिलने बिन बताये गयी थी वो भी खिड़की से कूद कर " अंजली ने हस्ते हुए कहाँ
" तू परेशान मत हो और बारात भी तब ही आएगी ना जब दूल्हा घोड़ी पर बैठ कर आएगा और हाँ कोइ अंदर आये मेरा पूछे तो कहना अंदर बाथरूम में है नहा रही है। मैं बस यूं गयी और यूं आयी " अंजली ने मंजू को गले लगा कर कहाँ और वहा से एक चादर ओढ़ कर चली गयी
मंजू उसे जाता देखती रही ना जाने क्यू उसका दिल कह रहा था कि इसे रोक लू और कहु मेरे खातिर मत जा पर ना जाने क्यू लफ्ज़ उसके होंठो से निकल ही नही रहे थे और वो उसे अपने से दूर जाती देखती रही ।
घर मेहमानों से भरा था सब बारात आने का इंतज़ार कर रहे थे । दुर्जन परेशान था अपनी बेटी कि विदाई को लेकर वो दो रातो से सोया नही था उसका दिल अंदर ही अंदर बैठे जा रहा था जैसे शाम होती जा रही उसका दिल घबरा सा रहा था मानो कुछ अनहोनी होने को हो।
उसने अपनी अम्मा को बताया लेकिन अम्मा ने कहाँ " होता है ऐसा ही होता है जब बिटिया के कन्यादान का वक़्त नजदीक आने लगता है तू घबरा मत सब ठीक हो जाएगा
अंजली भागती भागती नदी पर पहुंची । सूरज डूब चूका था लेकिन लेकिन चाँद की चांदनी धरती पर अपनी छठा बिखेर रही थी ।उस शीतल रात में नदी में चाँद की चांदनी स्नान कर रही थी ।
अंजली बेसब्री से अमित का इंतज़ार कर रही थी ।
तभी सामने से एक आदमी आता दिखाई पड़ता है । अंजली उसे नजदीक आता देख शरमा कर अपना मुँह मोड़ लेती।
जैसे ही उस आदमी के कदम अंजली के पास आकर रुकते अंजली जो की पीठ फेरे खड़ी थी उससे कहती " मुझे जैसे ही तुम्हारी चिट्ठी मिली मैं फ़ौरन दौड़ी चली आयी मंजू ने मुझे रोका लेकिन मैं नही रुकी तुम्हारी मोहब्बत मुझे यहाँ खींच लायी। तुम जानते हमारी मोहब्बत की कहानी की शुरुआत यही इस नदी के पास से हुयी थी जब तुमने मुझे ख़त भेजनें की बात कही थी । और आज देखों इस नदी पर हम दोबारा मिल रहे है और आज शाम को हमारी मोहब्बत को एक नाम मिलने वाला है हम दोनों पति पत्नि बनने वाले है । मुझे तुमसे कुछ कहना है पर समझ नही आ रहा कैसे कहु ।
मैं तुमसे प्यार करती हूँ,,,,,,,,,,। ये कह कर जैसे ही अंजली पीछे मुड़ी उसकी चीखे निकल गयी जब उसने देखा कि,,,,,,,
Punam verma
29-Apr-2022 09:44 AM
Very nice
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Gunjan Kamal
09-Apr-2022 11:51 AM
बहुत खूब
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K.K.KAUSHAL (Advocate)
09-Apr-2022 08:59 AM
Bahut shandar evm jaandar hai
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